India, Dec. 1 -- The Government of India has issued a release:

काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत वसंत कॉलेज फॉर वीमेन,वाराणसी में 26 नवंबर 2025 से प्रमोशनल अकादमिक गतिविधियों की श्रृंखला आरंभ हुई। जिसका उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के सहस्राब्दियों से चले आ रहे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं भाषाई संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान करना है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश सरकार की सहभागिता में और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समन्वय से आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. जी. थवासी मुरुगन द्वारा किया गया।

प्रथम दिवस पर आयोजित विशेष व्याख्यान सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. जगदीशन टी., सहायक प्रोफेसर (भारतीय भाषाएँ) एवं कोर कमेटी सदस्य, KTS ने "तमिल करकलाम" अर्थात तमिल शिक्षण को इस वर्ष के संगमम् की मूल थीम बताते हुए कहा कि तमिल भाषा केवल एक भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता की प्राचीनतम और समृद्ध ज्ञान-धरोहरों में से एक है। उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु का आध्यात्मिक संबंध अत्यंत पुराना है, जो तीर्थ, परंपरा, साहित्य, संगीत, स्थापत्य और दर्शन के माध्यम से दोनों क्षेत्रों को अविच्छिन्न रूप से जोड़ता है। तमिल संतों और विद्वानों की काशी यात्राओं ने यहाँ की सांस्कृतिक चेतना को निरंतर समृद्ध किया है, जिससे यह संबंध और अधिक प्रगाढ़ हुआ है।

उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि भारत की भाषाई विविधता उसकी सबसे बड़ी शक्ति है और भारतीय भाषाओं का अध्ययन न केवल हमारी पहचान को सुदृढ़ करता है, बल्कि ज्ञान और रोजगार के अवसरों का विस्तार भी करता है। उन्होंने तमिल और संस्कृत के संबंध को परस्पर सहयोग और साझा ज्ञान-परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए इसे किसी भी प्रकार के भेद या विरोध से परे करार दिया। साथ ही, उन्होंने युवाओं से तमिल सहित भारतीय भाषाओं को सीखने और अपनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इससे देश की सांस्कृतिक एकता और ''एक भारत, श्रेष्ठ भारत'' की भावना और सशक्त होगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान को इस पहल के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया और कहा कि काशी तमिल संगमम् भारत की विविधता में निहित एकता को जमीन से जोड़ने का वास्तविक उदाहरण है। संवाद-सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर देते हुए वक्ता ने तमिल भाषा और संस्कृति सबंधित नई जानकारियाँ भी साझा कीं।यह भी उल्लेखनीय है कि काशी तमिल संगमम् 4.0 का आधिकारिक शुभारंभ 2 दिसंबर को होने जा रहा है, परंतु उससे पूर्व बीएचयू तथा वाराणसी के विभिन्न संस्थानों में शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक गतिविधियों की श्रृंखला प्रारंभ कर दी गई है, जिनका प्रमुख उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के संबंधों को और अधिक सशक्त करना है। वंदनम् के साथ संपन्न इस कार्यक्रम ने काशी और तमिल संस्कृति की साझा आत्मा का सशक्त परिचय कराया।

इस आयोजन के सफल संचालन में इवेंट कोऑर्डिनेटर्स प्रो. परवीन सुल्ताना, प्रो. संजय कुमार वर्मा, डॉ. जी. थवासी मुरुगन और डॉ. तुलसी कुमार जोशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिनके मार्गदर्शन एवं व्यवस्थापन से कार्यक्रम को प्रभावी स्वरूप मिला। आयोजन में छात्राओं, प्राध्यापकों और अतिथियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने इस आयोजन को और अधिक सार्थक बना दिया। आने वाले दिनों में वसंत कॉलेज में आयोजित होने वाली विभिन्न शैक्षणिक, संवादात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ काशी और तमिलनाडु की साझी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और भारत की एकात्म सांस्कृतिक चेतना को वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से स्थापित करने में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

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